पवन विजय
स्पेन जब इस्लाम से आजाद हुआ तो उसने एक एक कर गुलामी के चिन्ह मिटा दिए। इसी क्रम में विधर्मियो द्वारा तोड़े गए हिंदू धर्मस्थलों को वापस लेने की बात कहने का साहस करने वाले गांधी ही थे।
जब विश्व पूंजीवाद और साम्यवाद की चक्की में पिस रहा ऐसे में रामराज्य का उद्घोष करने का साहस करने वाले गांधी ही थे, जब चावल गिरोह आर्य आक्रमण थियरी गढ़ कर मूल निवासी की संकल्पना बना रहा था और सनातन को खंड खंड करने का स्वप्न देख रहा था तो हरिजन शब्द से उनके स्वप्न चूर करने का साहस करने वाले गांधी ही थे। आज का दिन वामन मेश्राम जैसे विषैले लोगों के लिए रूदन का दिन है।
गांधी जी ने कहा था ‘व्याधि अनेक हैं, वैद्य अनेक हैं, उपचार भी अनेक हैं। अगर सारी व्याधि को एक ही माने और उसका मिटाने वाला वैद्य राम ही है–ऐसा समझें तो हम बहुत सी झंझटों से बच जायें।‘
वर्तमान की क्या एक लंबे अरसे से महात्मा गांधी और राम के नाम को एक सूत्र में पिरो कर देखे जाने वाले बोध के संकट से यह समाज और देश जूझ रहा है। गांधी के जीवन के आधार राम हैं। रामराज्य की संकल्पना की हिम्मत धर्म निरपेक्षों , नास्तिकों, विधर्मियों के बीच यदि कोई करने में समर्थ था तो वह गांधी ही थे। हमने गांधी को पूजा या घृणा का पात्र बनाकर उनके राम बोध से अपने को वंचित कर लेने में स्वयं का गौरव समझते हैं। यह हमारी नादानी है कि उस व्यक्ति को जिसका जीवन स्वदेशी, स्वभाषा, स्वधर्म का परिचायक था, उसे खारिज करने का आत्मघाती प्रयास कर रहे हैं।
नई पीढ़ी गांधी की समालोचना कर उनके मार्ग को परिमार्जित कर सकती है। कोई जरूरी नही कि गाँधी आपसे श्रेष्ठ हों।आप उनसे बेहतर पथ निर्माण कर सकते हैं किन्तु एक बार गाँधी का पथ ठीक से देख लेने में कोई हर्ज नही है और मनुष्य का उद्विकास हो रहा है तो आने वाली पीढी पुरानी पीढी से अपनी संरचना को श्रेष्ठ बनाती है, इस बात में मै विश्वास करता हूँ बाकी गांधी को गाली देकर आप वामन मेश्राम, राजेंद्र प्रसाद का काम और आगे बढ़ा सकते हैं।
गांधी के विचारों को आत्मसात करने वाले पूज्य शास्त्री जी को नमन
जय जय श्रीराम