संघ गीतों के शब्दों में निहित देशभक्ति की भावना अधिक महत्वपूर्ण – डॉ. मोहन भागवत जीसंघ गीतों के शब्दों में निहित देशभक्ति की भावना अधिक महत्वपूर्ण – डॉ. मोहन भागवत जी

नागपुर, 28 सितंबर।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि सुर, लय और ताल में समझौता हो सकता है, लेकिन संघगीत में निहित देशभक्ति की भावना अधिक महत्वपूर्ण है और इससे समझौता नहीं किया जा सकता। संघ के सामान्य स्वयंसेवकों द्वारा गाए जाने वाले गीतों में निहित यही देशभक्ति की भावना प्रत्येक स्वयंसेवक को देश सेवा के लिए प्रेरित करती है।

सरसंघचालक जी रविवार को रेशीमबाग स्थित कविवर्य सुरेश भट्ट सभागृह में संघ गीत संग्रह लोकार्पण समारोह में संबोधित कर रहे थे। सरसंघचालक जी ने संघ गीत संग्रह का लोकार्पण किया। शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित समारोह देशभक्ति, संस्कृति और संगीत का अनूठा संगम था। पद्मश्री शंकर महादेवन ने चुनिंदा संघ गीतों की नई धुनें बनाई हैं, जो असंख्य भारतीयों के मन में देशभक्ति का भाव जगाती हैं, और प्रत्यक्ष मंत्र का कार्य करती हैं।

इससे पहले, जब शंकर महादेवन संघ के कार्यक्रम में आए थे तो उन्होंने कहा था कि यह कार्यक्रम एक सरगम जैसा लगता है। आज, सरसंघचालक जी ने कहा कि उन्होंने अपने सरगम से संघ गीतों को अधिक प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया है।

जब एक स्वयंसेवक गीत गाता है, तो उसका प्रभाव पड़ता है। क्योंकि शब्दों की भावनाएँ उसके गीत के माध्यम से व्यक्त होती हैं। संघ शाखा का सामूहिक गीत हो या व्यक्तिगत गीत, प्रत्येक गीत के माध्यम से स्वयंसेवक की सामूहिक भावनाएँ जागृत होती हैं। गीतों के शब्द मन में घर कर जाते हैं और देश सेवा की प्रेरणा देते हैं। सभी भारतीय भाषाओं में संघ के लगभग तीस हज़ार गीत हैं।

पद्मश्री शंकर महादेवन ने अपनी विशिष्ट शैली में अच्छा गायन किया है, और संघ गीत में निहित भावनाओं को पहचानते व समझते हुए, गीत को उसी प्रकार प्रस्तुत किया है जैसे एक स्वयंसेवक करता। इसलिए उनकी सराहना करते हुए सरसंघचालक जी ने शंकर महादेवन से अपील की कि वे अधिक से अधिक ऐसे देशभक्ति गीत गाएं ताकि उनका प्रचार-प्रसार तेजी से हो।

कार्यक्रम की शुरुआत में शंकर महादेवन ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई की ‘निर्माणों के पावन युग में हम चरित्र निर्माण न भूलें’ और श्रीधर भास्कर की ‘मनसा सततम स्मरणीयम्’ रचना प्रस्तुत की। सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले जी, सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्णगोपाल जी, भय्याजी जोशी, का संघ गीत के महत्व के बारे में संदेश सुनाया गया।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, राज्य के राजस्व मंत्री चन्द्रशेखर बावनकुले, प्रोफेसर अनिल सोले उपस्थित रहे। कार्यक्रम संचालन मशहूर अभिनेता शरद केलकर ने किया।

शंकर महादेवन की आवाज ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया

सुप्रसिद्ध संगीतकार एवं गायक शंकर महादेवन ने अपने गीतों में निर्माणों के पावन युग में…, मनसा सततम् स्मरणीयम्…, हम करें राष्ट्र आराधना…, बालसागर भारत होवो…, चरैवेति चरैवेति…, संस्कृति सबकी एक चिरंतन…, ध्वज केसरी शिवाचा…, एकता स्वतंत्र समानता रहे…, सुर संगम ताल संगम…, विश्व में गूंजे हमारी भारती… आदि गीतों की मनमोहक प्रस्तुति दी। सुरीली आवाज और नई संगीत रचना से युक्त देशभक्ति गीतों को सुनने के लिए नागपुर के गणमान्य लोग सभागार में एकत्र हुए थे। शंकर महादेवन की आवाज का जादू दर्शकों को मंत्रमुग्ध करने के साथ ही देशभक्ति की प्रेरणा भी दे रहा था। हर गीत के बाद, सभागार में भारत माता की जय… वंदे मातरम का नारा गूंज रहा था।

संघ गीत चरित्र निर्माण के लिए प्रेरक – देवेंद्र फडणवीस

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि निर्माणों के पावन युग में हम चरित्र निर्माण न भूलें… ऐसे संघ गीतों के माध्यम से ही संघ शाखा के प्रत्येक स्वयंसेवक को अच्छे चरित्र निर्माण की प्रेरणा मिलती है। प्रत्येक संघ गीत अत्यंत प्रेरक रहता है, जो जीवन को प्रेरित करता है।

संघ गीतों से अच्छी शिक्षा मिलती है

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि संघ गीतों और बौद्धिक सत्रों से ही जीवन में अच्छी बातें सीखी जा सकती हैं। शब्द, संगीत और गायन में अपार शक्ति होती है। चूँकि संगीत मन में प्रवेश करता है और संवेदनशीलता की भावना जागृत करता है, इसलिए संघ के प्रेरक गीत अधिक सुने जाते हैं।

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